मधुमेह के इलाज के लिए कौन सी दवा अच्छी है – आयुर्वेद, होम्योपैथी, या एलोपैथी?

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        आजकल लगभग हर घर मे कम से कम एक तो पेशंट मधुमेह से पीडित पाया जाता है और यह सभी मधुमेह से पीडित लोग किसी ना किसी प्रकार से उपचार भी के रहे है। कोई एलोपैथी कोई आयुर्वेद तो कोई कोई होम्योपैथी से उपचार कर रहे हैं। लेकीन क्या आप यह जानते है की, मधुमेह के इलाज के लिये कौनसी दवा अच्छी होती है? अगर नहीं तो हम आपको इस article के माध्यम से इसके माध्यम से पुरी जाणकारी देणे वाले हैं।

मधुमेह का एलोपैथी इलाज

             मधुमेह का सबसे लोकप्रीय इलाज अगर कोई है तो वह केवल और केवल एलोपैथी इलाज ही हैं। आज लगभग सभी मधुमेह से पीडित लोग एलोपैथी इलाज ही पसंद करते है क्योंकी इसका इलाज मात्र से हमे जल्द से जल्द result मिलता है। लेकीन इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है की, एलोपैथी इलाज का कोई भी अंत नहीं है। आपको अगर मधुमेह है और आप एलोपैथी इलाज को पसंद करणे वाले हो तो आपको एलोपैथी की दवा जिंदगी भर लेनी पडेगी क्यूंकी ये आपको जलद result तो देती है लेकीन इसका इलाज हमें ताउम्र करना पडता है जिसकी वजह से कई तरह के side effects भी होणे की संभावना होती है इसी लिये लोग अब होम्योपैथी और आयुर्वेदिक दवा का उपयोग करणे में ज्यादा विश्वास करणे लगे हैं।

मधुमेह का आयुर्वेदिक इलाज

          मधुमेह के लिये आयुर्वेदिक एक ऐसा तरिका है जिससे विश्व की 10% वयस्क लोग को प्रभावित करती है। यह काफी हद तक व्यक्ति के खाने के विकल्पों को प्रभावित करता है। दूसरेरक्त शर्करा के स्तर में बढ़ोतरी विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को जन्म दे सकती है। इसके अलावा, मधुमेह नेत्र स्वास्थ्य, हृदय स्वास्थ्य, तंत्रिका तंत्र, पैरों और गुर्दे को भी प्रमुख रूप से प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। सौभाग्य से, स्थिति को अभी भी विभिन्न उपाय करके और निर्धारित उपचार के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है।

              इससे पहले कि हम मधुमेह के लिए आयुर्वेद उपचार पर चर्चा शुरू करें , आइए देखें कि आयुर्वेद में मधुमेह का क्या अर्थ है। आयुर्वेद में, मधुमेह को मूत्र संबंधी असामान्यता से जोड़ा जाता है और इसे मूत्र संबंधी असामान्यता कहा जाता है। कुल मिलाकर, मधुमेह की चिंताएँ बीस प्रकार की होती हैं। उन बीस में से, मधुमेह का सबसे आम प्रकार मधुमेह मेलिटस है।

        प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, आयुर्वेद में मधुमेह के उपचार में हर्बल दवाएं, पंचकर्म उपचार, इसकी विभिन्न प्रक्रियाएं (वमन, विरेचन, वस्ति, आदि) और कई अन्य शामिल हैं। हालाँकि, उपचार के लिए चुनी गई प्रक्रिया काफी हद तक उस स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करती है जिसका व्यक्ति सामना कर रहा है।

        इसके अतिरिक्त, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन उपचारों का उद्देश्य टाइप – 4 ग्लूकोज रिसेप्टर्स की इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाना है। परिणामस्वरूप, इंसुलिन प्रतिरोध कम हो जाता है और इसके स्राव का स्तर बढ़ जाता है, जिससे बीटा कोशिकाओं के पुनर्जनन में भी वृद्धि होती है।

         विवरण की बात करें तो, आप मधुमेह वाले व्यक्तियों के लिए सबसे उपयुक्त आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में कुछ प्रासंगिक जानकारी पा सकते हैं।

मधुमेह का होम्योपैथी इलाज

          होम्योपैथी किसी मरीज के इलाज के लिए समग्र दृष्टिकोण का उपयोग करती है। यह शरीर के खराब हिस्से के बजाय पूरे शरीर को निशाना बनाता है। होम्योपैथिक चिकित्सक मरीजों के आहार, जीवनशैली, अन्य संभावित लक्षणों, परिवार में बीमारियों के इतिहास, पर्यावरण, काम, तनाव के स्तर, बुनियादी व्यवहार, आदतों और बहुत कुछ के आधार पर प्रश्न पूछते हैं। फिर वे उत्तरों के आधार पर रोगी की एक विस्तृत प्रोफ़ाइल बनाते हैं और फिर उपचार निर्धारित करते हैं।

     किसी भी दो मरीज़ों को कभी भी एक जैसा उपचार नहीं मिलता है, और नुस्खे प्रत्येक मरीज़ की ज़रूरतों के अनुसार तैयार किए जाते हैं। इस प्रकार, होम्योपैथिक उपचार एक समय लेने वाली प्रक्रिया है, और रोगी को चिकित्सक को अपना विस्तृत विवरण देने के लिए कई सत्रों की आवश्यकता हो सकती है।

        होम्योपैथिक दवाएं पौधों, खनिजों या जानवरों से निकाली जाती हैं। दवा को इस स्तर तक पतला किया जाता है कि मूल पदार्थ की केवल थोड़ी मात्रा ही बची रह जाती है। चूंकि वास्तविक खुराक में इसकी थोड़ी सी मात्रा ही मौजूद होती है, इसलिए होम्योपैथिक दवाओं का बहुत कम या कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

होम्योपैथिक डॉक्टर विभिन्न रूपों में दवा लिखते हैं

  • चीनी की गोलियाँ
  • मलहम
  • क्रीम
  • तेल
  • ड्रॉप
  • गोलियाँ

होम्योपैथी जीवन शक्ति में असंतुलन के कारण रोगियों के शरीर में होने वाली विकृतियों का इलाज करके मधुमेह का प्रबंधन करती है। मधुमेह रोगियों के लिए होम्योपैथी उपचार में रक्त में उच्च शर्करा स्तर के कारण होने वाले लक्षणों का इलाज शामिल है। अधिकांश मधुमेह रोगियों में आम लक्षण हैं,

  • थकान
  • अत्यधिक पेशाब आना, विशेषकर रात के समय
  • शुष्क मुंह
  • बार-बार भूख लगना
  • टाइप 1 के मामले में वजन कम होना, टाइप 2 के मामले में वजन बढ़ना
  • धुंधली दृष्टि
  • अल्सर
  • शरीर की जखम लंबे समय तक ठीक न होना
  • प्यास

मधुमेह के इलाज के लिए कौन सी दवा अच्छी है – आयुर्वेद, होम्योपैथी, या एलोपैथी?

           तो अब सवाल यह है की आखिर मधुमेह के लिये कौनसी दवा अच्छी है। आयुर्वेद, होम्योपैथी, या एलोपैथी दवा अच्छी होती है? तो हम आपको इसका जवाब देते है।

         मधुमेह के लिये तो सटीक दवा तो कोई भी नहीं है वह पूर्ण रूप से नहीं सुधार सकते वह केवल दवा लेकर नियंत्रित किया जा सकता है किंतू इसके लिये अगर आप एलोपैथी दवा का इस्तेमाल करते हो तो वह आपको ताउम्र लेनी पडेगी जिसकी वजह से कई तरह के side effects भी होणे की संभावना होती है।

          होमिओपॅथी मधुमेह के लिये एक ऐसी दवा है जिससे आप मधुमेह को नियंत्रित करणे के लिये ले सकते हैं जिसका बहुत ही कम या कोई भी side effects नहीं होता। और आयुर्वेदिक दवा का तो कोई भी side effects नहीं है। इसलिये मधुमेह के लिये आयुर्वेदिक या होमिओपॅथी दवा ही सबसे अच्छी है।

Conclusion

                 तो दोस्तों हमने आपको मधुमेह के इलाज के लिए कौन सी दवा अच्छी है – आयुर्वेद, होम्योपैथी, या एलोपैथी? इस article के माध्यम से मधुमेह के लिये कौनसी दवा अच्छी होती है इसके बारे में संपूर्ण जाणकारी दी है। लेकीन यह जाणकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिये हैं। कृपया किसी भी विशेषज्ञ की सलाह लिये बगैर आप होमिओपॅथी या आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल न करे।